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बैंक लोन मोरेटोरियम मामला 5 अक्टूबर तक के लिए टला, अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को

नई दिल्ली :

लोन मोरेटोरियम के दौरान ईएमआई पर ब्याज पर ब्याज मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से तीन दिन का समय मांगा है। मामला 5 अक्टूबर तक टल गया है। यानी अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 1 अक्टूबर तक ऑन रिकॉर्ड पर हलफनामा देने का समय दिया।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से अभी एनपीए घोषित नहीं करने को कहा है। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को निर्देश दिया कि वे किसी भी लोन को तब तक नन पर्फोर्मिंग टैग न करें जब तक कि निर्देश ना मिले। शीर्ष अदालत ने पिछली बार मामले को स्थगित कर दिया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से समय मांगते हुए कहा, ‘यह थोड़ा जटिल मसला है। कई आर्थिक मामले सामने आ रहे हैं। हम आरबीआई से इस मामले पर बातचीत कर रहे हैं।’

इससे पहले 10 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह का मौका देते हुए कहा था कि सब अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ अदालत आएं। इस मोरेटोरियम में व्यवस्था है कि जो लोग अपनी EMI नहीं दे सकते हैं, उनके पास आगे के लिए अपनी EMI स्थगित करने का विकल्प होगा। जबकि याचिका करने वालों का कहना है कि इसका कोई फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है क्योंकि जो अपने EMI स्थगित कर रहे हैं तो उन्हें इस स्थगन की अवधि का पूरा ब्याज देना पड़ रहा है।

सरकार का कहना है कि स्थगन की अवधि के ब्याज (जो चक्रवृद्धि के तौर पर है) को स्थगित करने से बैंको को भारी नुकसान होगा और कई बैंक बैठ जाएंगे। साथ ही जो लोग चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) दे चुके हैं उनको नुकसान होगा। सरकार कई बार इस पूरे मामले में RBI को आगे करके अपना पल्ला झड़ती भी नजर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक सरकार ठोस प्लानिंग नहीं बताती, तब तक यानी 31 अगस्त तक लोन डिफॉल्टरों को NPA घोषित ना करने का अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान किस्तों को मोरेटोरियम की योजना के तहत ईएमआई भुगतान टालने के लिए ब्याज पर ब्याज लेकर ईमानदार कर्जदारों को दंडित नहीं कर सकते। सुनवाई के दौरान बैंच ने कहा था कि ब्याज पर ब्याज लेना, कर्जदारों के लिए दोहरी मार होगी। मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की शीर्ष अदालत वाली बैंच ने कर रही है।

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