नई दिल्ली –
सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी को दी जा रही जेड प्लस सिक्यॉरिटी को वापस लेने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस प्रकार की हाईलेवल सिक्यॉरिटी उन्हें देनी चाहिए जिनकी जान को खतरा हो और जो सुरक्षा में आने वाले खर्च वहन कर सकें। बता दें कि याचिकाकर्ता की मांग थी कि दोनों अंबानी भाई अपने खुद के खर्चे से अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा सकते हैं। ऐसे में उनसे जेड प्लस लेवल की सिक्यॉरिटी वापस ले लेनी चाहिए।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘कानून का राज सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है। इसमें ऐसे नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना भी शामिल है जिनकी जान को खतरा हो। रिलांयस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के रेवेन्यू का भारत की जीडीपी पर बड़ा प्रभाव है। इन लोगों की जान को खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।’ वहीं सुप्रीम कोर्ट में अंबानी भाइयों की ओर से पैरवी करने आए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी का कहना था कि दोनों भाई देश के जाने माने व्यवसायी हैं।
भारत की जीडीपी पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के रेवेन्यू का काफी असर भी पड़ता है। इसलिए ऐसे व्यवसायी की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए। इसके साथ ही मुकुल रोहतगी ने बताया की सरकार की ओर से मिलने वाली सुरक्षा के बदले में अंबानी बंधु सारा खर्च उठाते हैं। मुकेश अंबानी को मनमोहन सिंह की सरकार के समय से ही 2013 में जेड प्लस सिक्यॉरिटी दी गई है। उस समय भी मनमोहन सरकार से मुकेश अंबानी को दी गई जेड प्लस सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा था।
एक रिपोर्ट्स के मुताबिक,सिक्यॉरिटी पर्सनल की सैलरी और एस्कॉर्ट वाहनों के संचालन पर करीब 15 लाख रुपये खर्च होते है। जो अंबानी खुद वहन कर रहे हैं।