‘सेक्स जीवन का अधिकार है’ लेस्बियन कपल के लिव-इन रिलेशनशिप पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
प्रयागराज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में दो महिला समलैंगिकों के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि समाज की नैतिकता अदालत के निर्णय को प्रभावित नहीं कर सकती है। संवैधानिक आचार संहिता और लोगों के अधिकारों की रक्षा करना न्यायालय का कर्तव्य है। अदालत ने पुलिस अधीक्षक शामली को याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया और कहा कि किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और पंकज भाटिया की पीठ ने शामली निवासी सुल्ताना मिर्जा और विवेक विहार निवासी किरण रानी द्वारा दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सुल्ताना और किरण वयस्क हैं और काम कर रही हैं। साथ ही, उनके परिवार और समाज उनके लिव-इन रिलेशनशिप के विरोध में हैं, उन्हें परेशान किया जा रहा है। उसने शिकायत की,कि उसे पुलिस से सुरक्षा नहीं मिल रही है। उसने यह भी तर्क दिया कि सर्वोच्च न्यायालय ने दुनिया के कई अन्य देशों की तरह नवतेज सिंह जौहर मामले में समलैंगिकता को मान्यता दी है। लिव-इन रिलेशनशिप भी मान्य हैं।
Allahabad HC rejects petition objecting to the live-in relationship of two women in Shamli city.
HC said that enforcing the constitutional rights of citizens is its duty & not the 'morality' of a society.
The Court directed Shamli Police to give protection to the two women
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 4, 2020
सेक्स एक अधिकार है –
न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने सेक्स को जीवन का अधिकार करार दिया और कहा कि उन्हें अपनी इच्छानुसार जीने का अधिकार है। यौन अभिविन्यास का अधिकार धारा 21 के तहत कवर किया गया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना अदालत का कर्तव्य है। अदालत ने शामली पुलिस को दोनों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने का भी निर्देश दिया।