नई दिल्ली – दुनिया भर में तीन कोरोना वैक्सीन के परीक्षण अंतिम चरण में हैं। प्रत्येक देश अपने नागरिकों को ये टीके उपलब्ध कराने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। भारत के लिए प्लस पॉइंट यह है कि दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन कंपनी भारत में स्थित है। परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने वैक्सीन पहुंचाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। इसमें टीकों का वितरण शामिल था। इसमें मोदी ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि टीका कब आएगा। उन्होंने इस पर राजनीति न करने की अपील भी की। इधर महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मांग की है कि कोरोना वैक्सीन को आम जनता के लिए जल्द उपलब्ध कराया जाए।
अधिक संभावना है कि कोरोना वैक्सीन जनवरी या फरवरी में आ जाएगी। प्रारंभ में कोरोना वैक्सीन स्वास्थ्य कार्यकर्ता (कोरोना वारियर) को दी जाएगी। इसके बाद इसे वरिष्ठ नागरिकों को दिया जाएगा। जिन लोगों के नाम सूची में दिखाई देंगे, उन्हें टीकाकरण की तारीख, समय और स्थान के एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाएगा। संदेश में टीकाकरण संगठन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता का नाम भी शामिल होगा।
पहली खुराक देने के बाद दूसरी खुराक की घोषणा एसएमएस के माध्यम से की जाएगी। जब दोनों खुराक दी जाती हैं तो एक डिजिटल क्यूआर आधारित प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। यह टीकाकरण का प्रमाण होने वाला है। इन सभी तैयारियों के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है। यह कोरोना वैक्सीन के स्टॉक, वितरण, टीकाकरण आदि को ट्रैक करेगा।
कोरोना वैक्सीन देने पर जिम्मेदारी खत्म नहीं होगी। टीकाकरण वाले नागरिकों की निगरानी सरकार करेगी। इससे लोगों में वैक्सीन के प्रति विश्वास बढ़ेगा। टीकाकरण को लेकर विभिन्न समाजों में एक अंधविश्वास है, इसलिए राज्य सरकारों को सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने का काम सौंपा गया है। वैक्सीन के दुष्प्रभावों के लिए तैयार होने की भी सिफारिश की जाती है। राज्य में एड्रेनालाईन इंजेक्शन के पर्याप्त स्टॉक का सुझाव दिया गया है। एलर्जी होने पर लोगों को यह इंजेक्शन दिया जाएगा।