विश्व

नहीं सुधर रहा ड्रैगन, भारत के खिलाफ अब चीन की नई चाल

नई दिल्ली – भारत-चीन के बीच पिछले कुछ समय से तनाव जारी है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, तिब्बत में एलएसी के करीब यारलुंग ज़ंगबो नदी की निचले एरिया में चीन एक “सुपर” बांध बनाने की तैयारी में है। इस कदम का पूर्वोत्तर भारत की जल सुरक्षा को लेकर दूरगामी परिणाम हो सकता है। बता दें कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) से निकलने वाली यारलुंग जंगबो सीमा पार अरुणाचल प्रदेश में बहती है, जहां इसे बांग्लादेश में बहने से पहले सियांग और फिर असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है।

नए बांध की बिजली पैदा करने की क्षमता मध्य चीन के थ्री गोरज बांध की तुलना में तीन गुना हो सकती है, जिसकी दुनिया में सबसे बड़ी हाईड्रो पावर क्षमता है। रविवार शाम को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन यारलुंग ज़ंगबो नदी पर एक जलविद्युत परियोजना का निर्माण करेगा। ये नदी एशिया के प्रमुख जल स्रोतों में से एक है और भारत और बांग्लादेश से भी गुजरती है। पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प ऑफ चाइना के चेयरमैन ने पिछले हफ्ते एक कॉन्फ्रेंस में कहा था कि इतिहास में कोई इस प्रोजेक्ट के समानांतर नहीं है। यह प्रोजेक्ट, चीन के जलविद्युत उद्योग के ऐतिहासिक अवसर होगा।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांध का शुरुआती काम 16 अक्टूबर को पावर चाइना के साथ शुरू हुआ। जिसने TAR सरकार के साथ 14वीं पंचवर्षीय योजना को कवर करते हुए रणनीतिक सहयोग पर हस्ताक्षर किए। चीन ने कहा कि यारलुंग ज़ंगबो नदी के बहाव का जलविद्युत का इस्तेमाल एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से ज़्यादा है। यह पर्यावरण, राष्ट्रीय सुरक्षा, जीवन स्तर, ऊर्जा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए भी सार्थक है।

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