भारत

विश्व भारती के 100 साल पुरे होने पर PM मोदी ने कही ये खास बातें

नई दिल्ली –

पश्चिम बंगाल की विश्वभारती यूनिवर्सिटी के 100 साल पुरे हो गए। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन किया। पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रखे गए इस कार्यक्रम को प्रधानमंत्री का संबोधन खास बना रहा है। वर्चुअली द्वारा मोदी लोगों से जुड़े। इस कार्यक्रम में देश के कई शिक्षाविद् हिस्सा ले रहे हैं। पीएम ने अपने संबोधन की शुरू में सबसे पहले गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर को याद किया।

बता दें कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी न्योता भेजा गया था, हालांकि अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है। ऐसे में ममता बनर्जी इस कार्यक्रम में शामिल होंगी या नहीं, इसपर आखिरी तक सस्पेस रहा। पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि विश्वविभारती के 100 वर्ष होना प्रत्येक भारतीय के गौरव की बात है। मेरी लिए भी ये सौभाग्य की बात है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है। विश्वभारती, माँ भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है। भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है।

– पीएम ने कहा कि भारत इंटरनेशनल सोलर एलायंज के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है।

– भारत पूरे विश्व में इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस अकॉर्ड के पर्यावरण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

– जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19-20वीं सदी का विचार आता है। लेकिन ये भी एक तथ्य है कि इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी। भारत की आजादी के आंदोलन को सदियों पहले से चले आ रहे अनेक आंदोलनों से ऊर्जा मिली थी।

-प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को भक्ति आंदोलन ने मजबूत करने का काम किया था। हिंदुस्तान के हर क्षेत्र, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, हर दिशा में हमारे संतों ने, महंतों ने, आचार्यों ने देश की चेतना को जागृत रखने का प्रयास किया।

– मोदी ने कहा कि विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है।

– गुरुदेव ने हमें स्वदेशी समाज का संकल्प दिया था। वो हमारे गांवों, कृषि को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे। वो वाणिज्य, व्यापार, कला, साहित्य को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे। भारत की आत्मा, भारत की आत्मनिर्भरता और भारत का आत्मसम्मान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए तो बंगाल की पीढ़ियों ने खुद को खपा दिया था।

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