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सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद भवन के निर्माण को दी मंजूरी, लेकिन कही ये जरूरी बात

नई दिल्ली –

सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 2:1 की बहुमत से ये फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ज़मीन का डीडीए की तरफ से लैंड यूज़ बदलना सही है। साथ ही पर्यावरण क्लियरेंस मिलने की प्रक्रिया भी सही है।

गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गयीं थीं और पर्यावरण सहित कई अन्य नियमों का उल्लंघन किये जाने का हवाला देते हुए परियोजना को रोकने की मांग की गयी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कही ये जरुरी बात –
कोर्ट ने कहा कि इसके निर्माण के दौरान प्रदूषण रोकने के लिए स्मॉग टावर लगाए जाएं। इतना ही नहीं निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की भी मंजूरी ली जाए। कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार से इस संबंध में जो फैसला लिया और जिस तरह से अपने अधिकारों को प्रयोग किया वह उचित है। पर्यावरण समिति की सिफारिशें उचित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परियोजना के निर्माण के दौरान धूल से बचने के लिए स्मॉग टॉवर स्थापित किये जाएं और पर्यावरण के अनुकूल निर्माण सामग्री का उपयोग किया जाए।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को याचिकाओं पर सुनवाई की थी और संसद भवन के शिलान्यास को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को नए संसद भवन की इमारत का शिलान्यास किया था। कोर्ट ने कहा था कि उसे शिलान्यास करने पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि कोर्ट ने इसके साथ ही कहा था कि अंतिम फैसला आने तक कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम नहीं होगा।

क्या है ये पूरा प्रोजेक्ट –
दिल्ली में राजपथ के दोनों तरफ के इलाके को सेंट्रल विस्टा कहते हैं। इसके अतर्गत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क का इलाका आता है। सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के इस पूरे इलाके को रेनोवेट करने की योजना को कहा जाता है। इसी प्रोजेक्ट के तहत नए संसद परिसर का निर्माण किया जाना है। इसमें 876 सीट वाली लोकसभा, 400 सीट वाली राज्यसभा और 1224 सीट वाला सेंट्रल हॉल बनाया जाएगा।

इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितम्बर में हुई थी, जिसमें एक नये त्रिकोणाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। पीएम मोदी ने 10 दिसंबर को संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था। साझा केन्द्रीय सचिवालय के 2024 तक बनने का अनुमान है। इसका निर्माण कार्य 2022 तक पूरा होने की संभावना है, जिसमें 971 करोड़ रुपये का खर्चा आ सकता है। याचिकाएं भूमि उपयोग बदलाव सहित विभिन्न मंजूरियों के खिलाफ दायर की गई थीं।

इसमें एक नये त्रिकोणाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। साझा केन्द्रीय सचिवालय के 2024 तक बनने का अनुमान है। इसका निर्माण कार्य 2022 तक पूरा होने की संभावना है, जिसमें 971 करोड़ रुपये का खर्चा आ सकता है।

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