सीने पर छूना यौन हमला नहीं, स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट जरूरी : बॉम्बे हाईकोर्ट
मुंबई – बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए रविवार को कहा कि किसी घटना को यौन हमले की श्रेणी में तभी स्वीकार किया जाएगा जब स्किन टू स्किन संपर्क यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क हुआ होगा। अदालत ने कहा कि ऐसी घटना में केवल जबरन छूना यौन हमला नहीं माना जाएगा। बॉम्बे हाई कोर्ट ने नाबालिग के यौन शोषण मामले में विचित्र फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना उसके वक्षस्थल को छूना यौन हमला नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस तरह का कृत्य पोक्सो अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।
दरअसल, हाल ही में हाई कोर्ट में एक यौन हमले के आरोपी की याचिका पर सुनवाई हुई।आरोपी पर नाबालिग लड़की से यौन शोषण का आरोप है। इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केवल नाबालिग का सीना छूना यौन हमला नहीं कहलाएगा। कोर्ट ने आगे कहा कि यौन हमला तब कहलाएगा, जब आरोपी पीड़ित के कपड़े हटाकर या कपड़ों में हाथ डालकर फिजिकल कॉन्टैक्ट करे।
बता दें कि आरोपी को एक 12 वर्षीय लड़की के ब्रेस्ट छूने और छेड़खानी के लिए यौन हमले का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई थी। लेकिन, बाद में जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला की सिंगल जज बेंच ने फैसला सुनाते हुए आरोपी के कन्विक्शन में बदलाव किया। आरोपी को POCSO अधिनियम की धारा-8 के तहत बरी कर दिया गया, जिसमें उसे तीन साल की न्यूनतम सजा मिल सकती थी।
जज का कहना था कि जानकारी के आभाव में इस घटना को यौन हमले की श्रेणी में नहीं रख सकते। हालांकि, जज ने यह भी कहा कि ये आईपीसी की धारा-354 के तहत आएगा, जो महिला की लज्जा भंग करने के तहत आता है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यौन हमले की परिभाषा में शारीरिक संपर्क प्रत्यक्ष होना चाहिए या सीधा शारीरिक संपर्क होना चाहिए।