Republic Day Special : गणतंत्र दिवस और भारतीय तिरंगे से जुड़े जानें कुछ रोचक बातें
नई दिल्ली – आज गणतंत्र दिवस है। तिरंगा झंडा भारत का गर्व है और भारत की संप्रभुता के प्रतीक है। इसे हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर सम्मानपूर्वक देश के हर सम्मानजनक संस्थानों पर फहराया जाता है। इस दिन देश में सरकारी अवकाश होता है। भारत के इस शौर्य और पराक्रम के पल का साक्षी बनने के लिए प्रत्येक वर्ष राजपथ से लेकर लाल किले तक लाखों लोगों की भीड़ जुटती है।
पूरे रास्ते लोग तालियों और देशभक्ति के नारों से परेड में शामिल जाबांजों की हौसलाअफजाई करते हैं। लेकिन कोरोना का की वजह से इस बार ऐसा नजारा नहीं होगा। भीड़ की संख्या बहुत कम होगी साथ ही परेड भी केवल 5 किलोमीटर तक ही होगी।
गणतंत्र दिवस –
– गणतंत्र दिवस की भव्य परेड देखने के लिए 26 जनवरी के मौके पर राजपथ से लेकर लाल किले तक के परेड मार्ग पर प्रत्येक वर्ष दो लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटती है। कोरोना की वजह से इस बार ऐसा संभव नहीं। इसमें राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से लेकर आम और खास सभी शामिल होते हैं।
– केंद्र सरकार द्वारा इस मौके पर प्रत्येक वर्ष भारत समेत कई राष्ट्रों से अतिथियों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है।
– 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस परेड की शुरूआत 1950 में आजाद भारत का संविधान लागू होने के साथ हुई थी। वर्ष 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ पर न होकर, चार अलग-अलग जगहों पर हुई थीं। 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन क्रमशः इरविन स्टेडियम (नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में हुआ था।
– गणतंत्र दिवस समारोह में हर साल किसी न किसी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या शासक को विशेष अतिथि के तौर पर सरकार द्वारा आमंत्रित किया जाता है। 26 जनवरी 1950 को पहले गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो विशेष अतिथि बने थे। लेकिन कोरोना की वजह से इस बार विदेशी मेहमान नहीं होंगे।
– गणतंत्र दिवस समारोह की शुरूआत राष्ट्रपति के आगमन के साथ होती है। राष्ट्रपति अपनी विशेष कार से, विशेष घुड़सवार अंगरक्षकों के साथ आते हैं। ये घुड़सवार अंगरक्षक राष्ट्रपति के काफिले में उनकी कार के चारों तरफ चलते हैं।
– राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है। 21 तोपों की ये सलामी राष्ट्रगान की शुरूआत से शुरू होती है और 52 सेकेंड के राष्ट्रगान के खत्म होने के साथ पूरी हो जाती है।
– 21 तोपों की सलामी वास्तव में भारतीय सेना की 7 तोपों द्वारा दी जाती है, जिन्हें पौन्डर्स कहा जाता है। प्रत्येक तोप से तीन राउंड फायरिंग होती है। ये तोपें 1941 में बनी थीं और सेना के सभी औपचारिक कार्यक्रमों में इन्हें शामिल करने की परंपरा है।
– सभी टैंकों, हथियार, बख्तरबंद गाड़ियों और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों की जांच और रंग-रोगन आदि का कार्य 10 चरण में पूरा किया जाता है।
– परेड में शामिल होने वाले प्रत्येक जवान को चार स्तर की सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है। उनके हथियारों की भी कई चरणों में गहन जांच होती है। जांच का मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना होता है कि किसी जवान के हथियार में कोई जिंदा कारतूस न हो। इससे बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती है।
– भारत सरकार ने वर्ष 2001 में गणतंत्र दिवस समारोह पर करीब 145 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वर्ष 2014 में ये खर्च बढ़कर 320 करोड़ रुपये पहुंच गया था। मतलब 2001 से 2014 के बीच 26 जनवरी समारोह के आयोजन में लगभग 54.51 फीसद की दर से खर्च में इजाफा हुआ है।
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे से जुड़ी कुछ रोचक बातें –
– तिरंगा झंडा भारत का राष्ट्रीय ध्वज है। यह तीन रंगों का होता है जिसमें सबसे उपर में केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और नीचे में हरा रंग होता है।
– बीच में सफेद रंग की पट्टी के बीचोंबीच एक चक्र बना होता है जिसमें 24 तीलियां होती है।
– केसरिया रंग देश की ताकत और उर्जा को प्रदर्शित करता है।
– सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक है।
– हरा रंग उत्पादकता, प्रगति विकास और भूमि की हरियाली को संकेत करता है।
– वहीं बीच का चक्र हमें जीवनचक्र की सच्चाई से रुबरु करवाता है।
– झंडे की लंबाई का अनुपात 3:2 के अनुपात में होता है।
– चक्र का व्यास, सफेद पट्टी के उंचाई के बराबर होता है।
बता दें कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की डिजाइन को 22 जुलाई 1947 को भारतीय संवैधानिक सभा के द्वारा मंजूरी दिया गया था। राष्ट्रीय ध्वज एक किसान और एक स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया के द्वारा डिजाइन किया गया था। कानून के मुताबिक तिरंगा झंडा हमेशा एक खादी कपड़े का बनाया जाता है जो खास तौर पर हाथ से बुना हुआ होता है। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को बनाने का काम आधिकारिक तौर पर कादी ग्रामोद्योग विकास और लघु उद्योग आयोग को दिया जाता है।
राष्ट्रीय ध्वज को हमेशा दिन की रोशनी में सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच फहराया जाता है। यह हमेशा इस तरह फहराया जाता है कि केसरिया रंग हमेशा उपर की तरफ रहे। इस ध्वज से बड़ा देश में कोई भी ध्वज नहीं है। तिरंग के कपड़े को और इस तरह के कोई भी कपड़े को किसी भी दूसरे इस्तेमाल में लाना गैरकानूनी है।