टेक्नोलॉजी

आपदाओं से अलर्ट करेगा ग्लेशियर सेंसर अलार्म, बच सकती है कइयों की जान

नई दिल्ली – उत्तराखण्ड के चमोली में हुए हिमस्लखन की घटना के बाद प्राकृतिक आपदा को लेकर सतर्कता और बढ़ गयी है। इस आपदा में कई सौ लोग लापता हो गये और काफी जान माल का नुकसान भी हुआ। इस तरह के आपदा को रोकना संभव नहीं है लकिन, बचाव और रोकथाम पर काम किया जा सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए वाराणसी की छात्राओं ने ग्लेशियर फ्लड अलर्ट सेंसर अलार्म का निर्माण किया है, जो प्राकृतिक आपदाओं से पहले ही लोगों को चेतावनी दे देगा।

ग्लेशियर सेंसर अलार्म –
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित अशोका इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की छात्राएं अन्नू, आंचल पटेल और संजीवनी यादव ने यह सेंसर आलर्म मिलकर तैयार किया है। अन्नू सिंह ने बताया कि उत्तराखण्ड में ग्लेशियर स्लाइड हुआ था। जिसमें कई लोगों की जान गई। उसी को देखते हुए एक ऐसा ग्लेशियर फ्लड अलर्ट सेंसर अलार्म डिवाइस बनाया है, जिससे आपदा का पूवार्नुमान हो जाए। इससे होने वाली दुर्घटना से लोगों को बचाया जा सकेगा।

कैसे काम करेगा ग्लेशियर सेंसर अलार्म –
टीम ने बताया कि इस सेंसर आलर्म का ट्रांसमीटर बांध, डैम क्षेत्र या ग्लेशियर के इलाके में लगा होगा। इसका रिसीवर राहत आपदा कन्ट्रोल क्षेत्र में लगाया जा सकता है। जैसे ही कोई आपदा आने वाली होगी वैसे ही ट्रान्समीटर रिसिवर को संकेत भेज देगा, जिससे समय रहते आपदा से लोगों को अलर्ट करके बचाया जा सकता है। इसमें हाई फ्रीक्वेंसी ट्रांसमीटर, रिसीवर, साढ़े चार फिट के दो टावर है, जिसमें ट्रांसमीटर लगाया गया है। अभी यह प्रोटोटाइप तैयार किया गया है। टावर को नुकसान पहुंचते ही इसमें लगे ट्रांसमीटर एक्टिव होंगे और आपदा का संकेत मिल जाएगा। बांध, ग्लेसियर, नदी के किनारे लगाने पर यह अच्छा कार्य करेगा।’

500 मीटर है इसकी रेंज –
इसकी रेंज अभी 500 मीटर है। आने वाले समय में यह कई किलोमीटर तक काम करेगा। एक घंटे चार्ज होने पर छ: माह तक यह बड़े आराम से काम करेगा। इसे बनाने में 7 से 8 हजार रुपए का खर्च आया है।

वायरलेस फ्लड अलर्ट अलार्म से प्रकृति आपदा जैसे बड़ी-बड़ी नदियों में उफान आने पर हिमस्खलन, ग्लेशियर के फटने पर पहाड़ों के किनारे बसे शहर गांव और पहाड़ों के बीच बनी सड़कों में यह लगाया जा सकता है। कभी भी नदियों के बांध टूटने पर, ग्लेशियर के फटने पर ये सेंसर 1 सेकेंड के अंदर दुर्घटना क्षेत्रों से दूर के ऐरिया में बसे गांव व शहर के लोगों को अलर्ट कर देता है। इसे चार्ज करने के लिए बिजली की जरुरत नहीं होती, क्योंकि यह सोलर से चार्ज होता है। 1 घंटे चार्ज होने पर 6 माह धूप के बिना भी यह कार्य कर सकता है।

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