[tritle जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद अब कैसा रहेगा भारत का रिश्ता अमेरिका से, जानें क्या कहते है विदेश नीति के विशेषज्ञ]
नई दिल्ली –
कई दिनों से वोट गिनती के बाद आखिरकार जो बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। जो बाइडन इस समय फेसबुक और टि्वटर जैसी सोशल मीडिया के साथ चीनी मीडिया पर भी छाए हुए हैं। चीन की टि्वटर के जैसी वेबसाइट वीबो पर बाइडन के बारे में पोस्ट को 730 मिलियन से ज्यादा लोगों ने देखा। साथ ही चीन की वीचैट पर भी जो बाइडन के बारे में लाखों लोगों ने पढ़ा।
इस बीच अब सबकी नजर अमेरिका और भारत की दोस्ती पर टिकी हुई है। सबको पता है कि ट्रंप प्रशासन के साथ भारत के करीबी रिश्ते थे। ट्रंप ने भारत के हर एक फैसले का साथ दिया। बात पाकिस्तान की हो या धारा 370 हटाना। अब बात बाइडन की है। क्या जो के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के साथ रिश्तों में कोई बदलाव करेंगे। क्या वह भारत के साथ मौजूदा सामरिक, रक्षा और सुरक्षा संबंधों को बनाए रखेंगे, जो राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के कार्यकाल में हुए परमाणु समझौते के कारण मजबूत हुआ था।
विदेश नीति के विशेषज्ञ कहते हैं कि अमेरिका और भारत के बीच संबंध मूल रूप से आपसी विश्वास और लाभों पर आधारित हैं। चीन के साथ भारत के तनावपूर्ण सीमा गतिरोध के बीच संवेदनशील उपग्रह डाटा साझा करने के लिए हुए सैन्य समझौते बाइडन के शासन में और पुख्ता हो सकते हैं। बाइडन ने प्रचार के दौरान स्पष्ट किया था कि कि भारत-अमेरिका साझेदारी उनके प्रशासन की ‘उच्च प्राथमिकता’ होगी। बाइडन ने यह भी कहा कि वह ट्रंप द्वारा लगाए गए एच -1 बी वीजा के अस्थायी निलंबन को हटा देंगे और उन्होंने अधिक समावेशी और उदार आव्रजन नीति का संकेत दिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का भी बाइडन द्वारा समर्थन किए जाने की संभावना है। यह सर्वविदित है कि ट्रंप भारत में अनुच्छेद 370 हटाने, पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियां, व सुरक्षा जैसे कई मुद्दों पर भारत के साथ खड़े थे, लेकिन बाइडन के भी अमेरिकी विदेश नीति के निर्धारित सिद्धांतों से विचलित होने की संभावना नहीं है।
इन विषयों पर रहेंगी नजर –
– विशेषज्ञ का कहना है कि जो अपनी विदेश नीति में पाकिस्तान के साथ संबंधों को एक नया आयाम दे सकते हैं।
– उम्मीद है कि बाइडन पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को प्रायोजित न करने का दबाव डाल सकते हैं।
– अगर बात करें अफगानिस्तान की तो अमेरिकी सैनिकों की वापसी में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है, क्योंकि अमेरिका के लोग आतंकवाद से ग्रस्त उस देश से अपने सैनिकों की वापसी के पक्ष में हैं।
– ओबामा के साथ मोदी के करीबी संबंध बाइडन के कार्यकाल में विदेश नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिसमें भारत समेत अन्य मित्र देशों के साथ मिलकर काम करने की नीति रही है, उस नीति में चीन के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ खड़ा रहा है।
– बाइडन भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में हुए रक्षा समझौते को खारिज नहीं कर सकते, जिसमें दोनों देशों ने बेसिक एक्सचेंज ऐंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए तथा अपने रक्षा सहयोग का विस्तार किया।
– जो बाइडन ट्रंप के कुछ विचारों को स्वीकार करते हुए चीन को दुनिया भर में टक्कर देने का विकल्प चुन सकते हैं। वह भारत को हमेशा ध्यान में रखेंगे, ताकि भारत-अमेरिका के करीबी संबंध खराब न हों। याद हो कि बाइडन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘ठग’ कहा था और चीन पर शिनजियांग में उइगरों के ‘नरसंहार’ का आरोप लगाया था।
– डेमोक्रेट प्रशासन अमेरिका-ईरान परमाणु समझौते को फिर से लागू कर सकता है, जिससे न केवल भारत के लिए ईरान से तेल आयात का मार्ग प्रशस्त होगा, बल्कि पश्चिम एशिया में ईरान के साथ भारत के लिए रणनीतिक अवसर भी खुलेंगे। इन सब से लगता है की बाइडन भारत के लिए बेहतर हो सकते हैं।